शुक्रवार, 20 जून 2014

पेड़ और पिता

पेड़ और पिता में क्या अंतर है ?
पेड़ भी पिता के समान छाया देता है 
पेड़ की टहनियों पर पंछी आकर थकान मिटाते है 
पिता के पास पुत्र आश्रय पाकर  अरमान सजाते है 
सरंक्षण पाकर अभय दान पाते है 
पेड़ की जड़े  बहुत गहरी होती है 
पिता की सोच अनुभव से भरी होती है 
पेड़ से पंछी और मानव मीठे फल पाते है 
गिरने वाली लकडियो से हम भोजन पकाते है 
पेड़ की छाया  देखते ही आशाये जग मगाती है 
पसीने से लथ -पथ नाजुक सी देह राहत पाती है 
इसलिए पिता भी पेड़ के बीच कोई अंतर नहीं है 
पेड़ और पिता दोनों हमारे पूज्य है 
फिर भी हम दोनों के अस्तित्व को मिटाने पर क्यों तुले है 
हुई ढीली  संस्कारो की जड़े और वृध्दाश्रम क्यों खुले है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज