मार्ग में संघर्ष है
संघर्ष के कई दौर है
संघर्ष में उत्कर्ष है
उत्कर्ष का नहीं छोर है
राह में कांटे बिछाये
मुश्किलें कितनी भी आये
मौत भी न जीत पाये
उम्मीदे कुछ और है
हर खुशी दुःख से बड़ी है
मुश्किलो से वह लड़ी है
लौट आओ उम्मीदे तुम
मंजिले चौखट खड़ी है
आज के भीतर रहा कल
अंकुरित बीज फिर बना फल
हर प्रतीक्षा है परीक्षा
यहाँ परीक्षा की झड़ी है
बहुत सुंदर भाव.
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