खुली नहीं खिड़की
दरवाजे बन्द है
जीवन में बाधाएं
किसको पसन्द है
कालिख पुते चेहरे
हुए अब गहरे है
गद्य हुए मुखरित
छंदों पर प्रतिबंध है
मिली जूली भाषाएं
आवाजे कांपती है
अनुभूति आदमी की
शब्दों को भांपती है
टूटी हुई आशाएं
अभिलाषाएं मौन है
जीवन की जटिलताएं
क्षमताएं नापती है
जीवन की जटिलताएँ क्षमताएँ नापती है अतीव सुंदर
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