Srijan
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025
युग युग तक जीता है
अंधियारा रह रह कर आंसू को पीता है
चलते ही रहना है कहती यह गीता है
कर्मों का यह वट है निश्छल है कर्मठ है
कर्मों का उजियारा युग युग तक जीता है
1 टिप्पणी:
Priyahindivibe | Priyanka Pal
5 अप्रैल 2025 को 12:19 am बजे
सतत् सत्कर्मों को प्रेरित करती सुंदर काव्य रचना
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