शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

छंदों पर प्रतिबंध है

खुली नहीं खिड़की
 दरवाजे बन्द है 
जीवन में बाधाएं 
किसको पसन्द है
कालिख पुते चेहरे
हुए अब गहरे है 
गद्य हुए मुखरित
छंदों पर प्रतिबंध है


मिली जूली भाषाएं 
आवाजे कांपती है
अनुभूति आदमी की
शब्दों को भांपती है
टूटी हुई आशाएं 
अभिलाषाएं मौन है 
जीवन की जटिलताएं
क्षमताएं नापती है

2 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन की जटिलताएँ क्षमताएँ नापती है अतीव सुंदर

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 06 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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