सवालों की भीड़ है समाधान थोड़े
ऊसर बालुकामय डिगा नहीं निश्चय  
पथ पर धंसे पग त्रिस्नाये तोडे ,
मंजिल भी तो दूर मुश्किलों से भरपूर
निराशा के दम पर क्या सामर्थ्य को निचोड़े  
,
बरसते है पीठ पर समस्यायों के कौड़े  
गिरते सम्हलते सपने तो जोड़े  
दायित्वों के गठ्ठर लदे हुए सर पर ,
सवालों की भीड़ है समाधान थोड़े   

 
 
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