सोमवार, 17 दिसंबर 2012

विश्वास की पदचाप है


फूल है गुलकन्द है 
गुलकन्द जैसे आप है
ह्रदय मे आनंद है 
आनंद ही तो आप है
स्नेह मे निश्छल है
 निर्मल है निष्पाप है
प्रतिमूर्ति है सौन्दर्य की
 विश्वास की पदचाप है

रिश्ते रुहानी हो गये है आजकल
सपने सुहाने हो गये है आजकल
दिल मे बसी है आपकी सुन्दर छवि
पल पल रूलाती याद भी है आजकल

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज