विकलांगता
सपनो को तोड़ नहीं सकती
मानसिकता
गुलामी की दौड़ नहीं सकती
हर
एक अँधेरे को रही दिए की तलाश है
उजाले
की प्यास कभी मुंह मोड़ नहीं
सकती
जिसने तिरस्कार सहा किया है विष का पान जीवन के कई अर्थ बुने उसका हो सम्मान कुदरत में है भेद नहीं कुदरत में न छेद कुदरत देती रोज दया कुदर...