आनंद से जीवन भरा
स्नेह का यह कन्द ले लो
सदभावना दे दो ज़रा
चाँदनी मधुकामनी
अब दे रही खुशबू हमें
तुम चले हो छोड़ कर
मुह मोड़कर धड़कन थमे
हम बुलाये तुम न आये
सोच कर कुछ मन डरा
होलिका बन जल रही है
दस दिशाए छल रही है
दस दिशाए छल रही है
गल रही है भावनाए
आशाये मन कि ढल रही है
तुम बसे हो प्यार में ,
विश्वास को कर दो हरा
भाव के भावार्थ है
परमार्थ के कई रूप है
रंगो से तू खेल होली
क्यों रहा चुप -चुप है ?
रंग से रंगीन हुआ मन
बिन रंग के जीवन मरा
बहुत बढ़िया राजेंद्र भाई , होली की शुभकामनाएँ , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ अतिथि-यज्ञ ~ ) - { Inspiring stories part - 2 }
बीता प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 22/03/2014 को "दर्द की बस्ती":चर्चा मंच:चर्चा अंक:1559 पर.
bina rang ke jiwan berang ..khobsurat abhiwayakti ...
जवाब देंहटाएंAap sabhi mahaanubhaavo ko pratikriyaa ke liye dhanyvaad
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