शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

जीवन गीता श्लोक हो

घर आँगन में दीप  जला लो ,ह्रदय में आलोक हो 
उजियारे से प्रीत लगा लो ,मन  निर्भय अशोक हो 

जग जननी माँ दुर्गा लक्ष्मी ,देती यश धन बल है 
गुणों से पूजित हो जाते ,गुण  बिन सब निष्फल है
गुण  को पा लो स्वप्न सजा लो ,धरा स्वर्ग का लोक हो 

ज्योति से होता उजियारा, ज्योतिर्मय जगदीश है 
ज्योतिर्मय जग मग आशाये ,ज्योति का आशीष है 
चमक दमक दीपो की ज्योति ,जीवन गीता श्लोक हो

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज