गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

शब्द से संसार है

शब्द में रहती  मधुरता, शब्द से संसार है 
शब्द से होता समन्वय ,शब्द से व्यवहार है 

शब्द से संवाद रहता , मन्त्र सद विचार है 
शब्द में शुभकामना है, सद्भावना हर बार है 

शब्द का एक व्याकरण है, आचरण आभार है 
शब्द में ब्रह्माण्ड रहता ,ब्रह्म निर्विकार है 

शब्द से रुबाइयाँ है ,गीत की झंकार है 
शब्दहीन संवेदना है, भावना के तार है 

शब्द भी कुछ जानता है ,अर्थ को पहचानता है 
अर्थ का कुछ मूल्य पा लो ,शब्द ही व्यापार है 


 शब्द में आलोचना है ,व्यंग्य बारम्बार है 
छंद में हर रस भरा है ,काव्य का शृंगार है 

शब्द शक्ति को बचा लो, शब्द ही पतवार  है 
शब्द की सीमाये पा लो ,लेखनी की धार है 


शब्द में ऊंचाइयां है ,गहराईयाँ है भार है 
अर्थ भी मुश्किल रहे है, शब्द से दीवार है 

शब्द से कोई पा रहा है, प्यार की बौछार है 
जा रहा है शब्द से ही, शख्स वह हर बार है

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