घट घट में शिव व्याप्त हुए ,माता तेरे तट
रेवा जल से मुक्त हुए ,पाखंडी और शठ
माँ रेवा की आरती , रेवा तट पर स्नान
माँ पुत्रो के कष्ट हरे ,देती सुख सम्मान
निर्मल कोमल नीर भरा, ,है नैसर्गिक तट
कलयुग में भी स्वच्छ रहे।,तेरे तट पनघट
मेरे मन की पीर हरो, करता हुँ जब स्नान
तन मन को तृप्त करो, सेवा का हो दान
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