रिश्तो के पनघट रहे है रिश्तो से विश्वास
रिश्ते से ही घर बनते है रिश्तो में एक आस
रिश्तो की पूंजी रही है प्रीती का अहसास
रिश्ते से मिलती खुशिया है रिश्तो से उल्लास
रिश्ता माटी से रहा तो देश भक्ति पास
माटी का कण कण बचा लो सीमाएं उदास
रिश्ता अपनों से रहा है स्वप्न का मधुमास
रिश्तो में होती प्रतीती और परिधि व्यास
सुंदर भावपूर्ण रचना..
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