जीवन में गौरव और होता स्वाभिमान है
कठिनाइया कितनी भी जीत जाता ईमान है
व्यक्तित्व में ऊंचाइयां उसने यहाँ पाई है
निकलता है सूरज सा झुक जाता आसमान है
जीवन में गौरव है सौरभ है छाया है
खुशियों की दुनिया है प्रियतम को पाया है
मस्ती की कश्ती है सपनो की बस्ती है
सब कुछ है अपनों में सपनो को पाया है
सोमवार, 12 मार्च 2018
झुक जाता आसमान है
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