रविवार, 11 मार्च 2018

भरता रहूँ उड़ान

तू प्रीती का गीत रही भीतर की मुस्कान

तुझसे जीवन पाऊ मै भरता रहूँ उड़ान 

 

इस जग में जहाँ प्यार रहा सुख है अपरम्पार

गहनों में हो पायल तुम जीवन की रफ़्तार

तुम धड़कन और सांस रही अमृत का रसपान 

 

तुझपे वारा ये तन मन जो भी कुछ है शेष

तू मौसम मधुमास भरी तू विचार विशेष

मरते दम तक साथ रहे निकले संग ही प्राण

 

सारा जीवन प्यार मिले प्राणों का आधार

सजनी तेरे साजन पर रख लेना ऐतबार

एक नेक हूँ साथ सदा यही सत्य ही जान


तुझसे सच्चा प्यार मिला जीवन को आकार 

जीवित मेरा स्वप्न रहा तू नदिया की धार

 तू ही मन की मीत रही  जीवन का सम्मान

4 टिप्‍पणियां:

आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं  रहा  वहा  अभिमान  दीपक गुणगान  करो  करो  दिव्यता  पान  उजियारे  का  दान  करो  दीपक  बन  अभियान  दीपो ...