शनिवार, 22 अगस्त 2020

गिरधर और गोपाल

रिश्ते उतने साथ रहे जितने थे सम्बन्ध
मन से मन को बांध रहे स्नेहिल से अनुबंध

क्या होता है पुण्य यहाँ क्या होता है पाप
पापी था जो डूब गया मर गया अपने आप

गिर कर उठता चला गया रहा सदा सक्रिय
उसका ही है भाग्य जगा रहा सभी का प्रिय

चिड़िया भी है चहक रही चहकी हर चौपाल
बरगद पीपल छाँव पले गिरधर और गोपाल

बिखरी जाती रेत रही सूने सूने तट
उखड़े कितने वृक्ष यहां सजते है मरघट


3 टिप्‍पणियां:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज