माँ कंचन सी रूप रही ,माता उजली धूप
माँ आंसू को पोंछ रही, दुख सहती चुप चुप
माता सुख की छांव रही ,हर लेती सब दुख
माँ करती उपवास रही ,ली बेटे की भूख
माँ तो हरदम साथ रहे ,माँ देती सम्बल
माँ नदिया बन नीर बहे ,माँ यमुना चम्बल
माता होती रात रही ,होती गहरी नींद
दूब को देती ओंस नई ,जल को दे अरविंद
माँ बेटे को प्यार करे ,होकर के वत्सल
गौमाता भी चाट रही, बछड़े को पल पल
माँ पत्ते और पेड़ रही ,माँ होती फल फूल
माँ टहनी पर नीड़ रही ,चिड़ियों का स्कूल
माँ का सपना टूट गया ,उठ गया विश्वास
जब बेटे के हाथ पीटी ,झेली है भूख प्यास
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