मंजिल कोई दूर नही सब कुछ है श्रम साध्य
जीवन कड़वा नीम नही मीठा है इक फल
मीठी मीठी बात करो मिल जायेंगे हल
श्रम से सारे काज हुए होता क्यो ?नाराज
श्रम से सब कुछ पायेगा मत करना तू लाज
श्रम का ही तो मूल्य रहा ,बिन श्रम सब बेकार
आलस कर जो भाग रहा, कर्मो से मक्कार
उसका कोई मोल नही जो करता खट पट
झट पट जिसने काम किया होता वो कर्मठ
श्रम साधे है काज सभी जीवन का है मूल
श्रम का अमृत बाँट लिया देवो ने मिल जुल
सुन्दर
जवाब देंहटाएंश्रीमान का प्रतिक्रिया के लिए आभार
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