पेड़ पर रहते है पंछी
पेड़ पर और कौन ठहरा
चाहे जैसा घर बना लो
पेड़ पर कुटिया बना लो
खिलखिलाये जिंदगी भी
य़ह धरातल हो हरा
पेड़ की हम गोद खेले
पेड़ से सब कुछ संजो ले
पेड़ की छाया में निंदिया
लथ पथ पसीने से भरा
पत्तियाँ भी सरसराती
चिड़िया रानी बुदबुदाती
पेड़ की भाषायें बोले
प्रेम की हो य़ह धरा
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२५-०७ -२०२२ ) को 'झूठी है पर सच दिखती है काया'(चर्चा-अंक ४५०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
Very nice
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