पग प्रतिपल गतिमान रहे ,पद कीर्ति सर
ताज
पर्वत तो कैलाश रहा, गण के पति गणेश
जीवन में शुभ कृत्य करे, सुमति दे
महेश
मतिमंदो साथ नहीं, जीवन के आयाम
गणपति का है राज जहा ,हुए सभी शुभ काम
मित भाषी को राज मिला, मुँहफट रहा फकीर
जो अपनी नई राह चला , खिंची नई लकीर
सुंदर सृजन
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