शनिवार, 7 सितंबर 2024

निर्मल मन मे ईष्ट


तू  अपने  ही  दोष  मिटा 
सबका  करो  सुधार 
गुणी  हृदय  है  बहुत  बड़ा 
गुणता  रही  उदार 

 गुणीजन  के  ही  साथ  रहो 
  बन  जाओ  गुणवान 
गुण  मिलना है  बहुत  कठिन 
अवगुण  है  आसान 


गुण  के  हाथों  जीत  रही  
गुण  की  रही  है  प्रीत 
निश्चल निर्मल  भाव  जगा 
सबका  होगा  हित 

निश्चल  मन  विश्वास  रहा 
निर्मल  मन  मे  ईष्ट 
सबके जो  संताप  हरे 
होता  अति  विशिष्ट 





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