योग धर्म का ज्ञान नहीं पहना भगवा वेश
अब संतन की जात में धूर्तो की घुसपैठ ||1||
आचरण बिन व्यर्थ रहे ,भाषण और उपदेश
अब कोरे आश्वासन से ,पलता है परिवेश ||2||
आयु का प्रतिबन्ध नहीं उमर भले हो साठ
सतत पठन से खुल सकेगी तेरे मन की गाँठ ||3||
बेरोजगार युवा पीढ़ी ,जनसँख्या विस्फोट
क्षमताये विकलांग हुई ,व्यवस्था में खोट ||4||
आर्थिक परतंत्रता देश हित को चोट
नए गेट प्रस्ताव से होगी लूट खसोट ||5||
निष्ठाए तो नित्य बिकी मूल्य हुए नीलाम
चारित्रिक दुर्बलता से देश हुआ बदनाम||6||
सुविधाए अनमोल हुई, प्रतिभाये बेमोल
नेताजी निरक्षर थे ,हो गए गोल मटोल||7||
मंगलवार, 2 अगस्त 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अपनो को पाए है
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
-
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
-
सम्वेदना का भाव भरा खरा रहा इन्सान जीवित जो आदर्श रखे पूरे हो अरमान जो पीकर मदमस्त हुआ हुआ व्यर्थ बदनाम बाधाएँ हर और खड़ी...
-
जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें