दुरभि रही संधिया
और पैतरे कई लाये है
क्योकि
नैतिकता के मायने
नेता जी ने पाये है
झूठी रही दोस्ती
रचते रहे प्रपंच
नेता जी ने साध लिया
लूट लिया है मंच
चीनी से हम छले गये ,घटना है प्राचीन ची ची करके चले गए, नेता जी फिर चीन सीमा पर है देश लड़ा ,किच किच होती रोज हम करते व्यापार रहे, पलती उनकी फ...
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