दुरभि रही संधिया
और पैतरे कई लाये है
क्योकि
नैतिकता के मायने
नेता जी ने पाये है
झूठी रही दोस्ती
रचते रहे प्रपंच
नेता जी ने साध लिया
लूट लिया है मंच
जहा दिव्य हैं ज्ञान नहीं रहा वहा अभिमान दीपक गुणगान करो करो दिव्यता पान उजियारे का दान करो दीपक बन अभियान दीपो ...
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