शनिवार, 6 जून 2020

ठिठकी हुई दुनिया

स्वीच मिले मोबाईल साइलेंट हुए फ़ोन है
अदृश्य हुआ शत्रु पक्ष मृत्यु हुई मौन है
 बीमार है लाचार हैं संहार का संसार है
कहर है कुदरत का ये कौनसा त्रिकोण है

मौत भी चली आई  कोरोना के मारे है
बहती हुई सदिया ,नदिया के किनारे है
कौनसा है संकट जो आज हमने पाया है
ठिठकी हुई दुनिया है खुद के सहारे है

संकट हुआ विकट काला सा साया है 
विजय का महामंत्र हम सबने गाया है 
सबका ही सपना है झुकना न रुकना है
बदलेंगे अब हम सब ,जीना अब आया है



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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज