स्वीच मिले मोबाईल साइलेंट हुए फ़ोन है
अदृश्य हुआ शत्रु पक्ष मृत्यु हुई मौन है
बीमार है लाचार हैं संहार का संसार है
कहर है कुदरत का ये कौनसा त्रिकोण है
मौत भी चली आई कोरोना के मारे है
बहती हुई सदिया ,नदिया के किनारे है
कौनसा है संकट जो आज हमने पाया है
ठिठकी हुई दुनिया है खुद के सहारे है
संकट हुआ विकट काला सा साया है
विजय का महामंत्र हम सबने गाया है
सबका ही सपना है झुकना न रुकना है
बदलेंगे अब हम सब ,जीना अब आया है
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