रविवार, 6 अप्रैल 2025

जपे राम हर पल

दीपक मन की पीर हरे
हर ले असत तिमिर
रोशन वह ईमान करे 
मजबूत करे जमीर

पग पग पर संघर्ष करे
सत्य करे न शोर 
वह मांगे कुछ और नहीं 
मांगे मन की भोर

मन के राजा राम रहे
वे दीन के है बल
यह मन साकेत धाम रहे
जपे राम हर पल







शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

छंदों पर प्रतिबंध है

खुली नहीं खिड़की
 दरवाजे बन्द है 
जीवन में बाधाएं 
किसको पसन्द है
कालिख पुते चेहरे
हुए अब गहरे है 
गद्य हुए मुखरित
छंदों पर प्रतिबंध है


मिली जूली भाषाएं 
आवाजे कांपती है
अनुभूति आदमी की
शब्दों को भांपती है
टूटी हुई आशाएं 
अभिलाषाएं मौन है 
जीवन की जटिलताएं
क्षमताएं नापती है

युग युग तक जीता है

अंधियारा रह रह कर आंसू को पीता है 
चलते ही रहना है कहती यह गीता है
कर्मों का यह वट है निश्छल है कर्मठ है
कर्मों का उजियारा युग युग तक जीता है

जपे राम हर पल

दीपक मन की पीर हरे हर ले असत तिमिर रोशन वह ईमान करे  मजबूत करे जमीर पग पग पर संघर्ष करे सत्य करे न शोर  वह मांगे कुछ और नहीं  मांगे मन की भो...