थम जाती है आंधिया और तूफानी काली घटाए ,
सोच लेता निश्चल मन तो सुगम बन जाती है राहे
कंटको से क्या डरे हम हो गया विदीर्ण ये मन
ठोकरे लगाती गई है ,टूट गई संवेदनाये
ह्रदय में समाये बवंडर आंधी
किस्मत ने कैसी इमारत बांधी
दोस्ती के तेवर थे दुश्मन सरीखे
भोले विश्वास की उसने लुटी थी चाँदी
मीत ने किया था वादा जिंदगी का गीत होगी
टूट भले ही साँस जाये वह अनूठी प्रीत होगी
रास्ते पर हम बढे सामने जो थी हकीकत
टूट गए सारे वादे यातना हमने है भोगी
भावो की सीता का मंदिर बनाओ
गीतों की गीता को होठों पर सजाओ
ऊसर की अगन को स्वयम में समाकर
फिर दहकती धरा की पीडा को बताओ
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