गोरा तेरा रंग है गदराया हर अंग
रूपवती के रूप पर है ब्रहम्मा जी दंग
ईर्ष्या नफरत से तपे मेरे मन के पाव
ऐसे में ये प्रीत बनी ठंडी-ठंडी छांव
नर्म-नर्म कलाईया ,नाजुक गोरे हाथ
धवल चन्द्रमा चाँदनी ,तेरे रूप के साथ
धवल चन्द्रमा चाँदनी ,तेरे रूप के साथ
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