बुधवार, 14 सितंबर 2011

हे नाथ मेरे साथ हो

ईमान की धरती रहे ,सत्कर्म का अाकाश हो
अाराधना हो देव कि, निज ईष्ट पर विश्वास हो

सूर्य से चैतन्य हो ,जीवन हमारा धन्य हो
व्यक्तित्व के सौन्दर्य का, प्रभु !रत्न मेरे पाास हो

माॅ शारदे का वरद हस्त ,इस दास के ही माथ हो
चलता रहे  नित कर्म पथ पर ,नैराश्य नही वास हो 




विवाद विषाद मे भी ,न मन मेरा उदास हो
अग्यान का दूर हो अंधेरा  ग्यान का पकाश हो

न्याय का पथ हो पशस्त ,हो जाये दुर्भाग्य अस्त
आत्मा का उजला दर्पण ,रिश्तो मे मिठास हो

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज