सुर भरी सुबह है सुर मयी शाम है,
पंछीयों के गान से मिट गई थकान है
बारीश की छम-छम से बजती नुपूर है,
महफिले है कुदरत कि नाचते मयुर है
नैसर्गिक जीवन मे संगीत विज्ञान है
झरनों के कल-छल मे राग है बसे हुये
भॅवरो की गुंजन भी रागीनि लिये हुये
कोकिल के कंठ से निसर्ग करती गान है
परमात्मा से रही आत्मा को प्रीत है
भावों से परिपूर्ण गीत और संगीत है
गीत और संगीत करे ईश का गुणगान है
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