शनिवार, 29 सितंबर 2012

क्रांती जन सम्वाद है

क्रांति मे रहते भगत सिंग ,क्रांति होती आग है
क्रांति मे होते उधम सिंग,जलियावाला बाग है
क्रांति मे होती अमरता,क्रांति मे होता समर था
क्रांतिकारी की हो पूजा , क्रांति बदले भाग है

क्रांति से भ्रांति मिटे है निकले घर से नाग है
माटी पर जो मर मिटा है,मिट्टी से अनुराग है
क्रांति से मिटती है खाई,क्रांति ने गरिमा लौटाई
क्रांति के आव्हान से ही, होते हम आजाद  है

क्रांति से कल तू जिया था,मुक्ति का यह नाद है
क्रांती की होती चिंगारी ,क्रांती का चिराग है
क्रान्ति ने बाँधी शिखा है क्रान्ति से जीना सीखा है
क्रान्तिया होती रहेगी ,क्रांती जन सम्वाद है

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज