सस्ता चीनी माल मिला, कोरोना भी साथ
मर मर करके लौट रहे , लाशो की बारात
लाशो की बारात मिली, हुआ देश कुर्बान
अपने घर मे बने रहो इस युग का आव्हान
कवि विवेक देख रहा है रहा न शाकाहार
अब कुदरत की मार पड़ी मचा है हाहाकार
जहा दिव्य हैं ज्ञान नहीं रहा वहा अभिमान दीपक गुणगान करो करो दिव्यता पान उजियारे का दान करो दीपक बन अभियान दीपो ...
घर में ही सुख है और सुरक्षा भी
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