बुधवार, 25 मार्च 2020

मचा है हाहाकार

सस्ता चीनी माल मिला, कोरोना भी साथ
मर मर करके  लौट रहे , लाशो की बारात
लाशो की बारात मिली, हुआ देश कुर्बान
अपने घर मे बने रहो इस युग का आव्हान
कवि विवेक देख रहा है रहा न शाकाहार
अब कुदरत की मार पड़ी मचा है हाहाकार

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज