मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

करो सत्य का शोध

प्रतिपल वो उन्मुक्त रहा, इक सेवक हनुमान
सेवा का है मर्म यही , चाहा न प्रतिदान

सौ योजन वो लाँघ गया, राम नाम का बोध
मारुति हनुमान कहे , करो सत्य का शोध

घर के आँगन बेल रहे पीपल का हो पेड़
बूढा बरगद साथ रहे , रहे खेत पर मेढ़

जहां नही अभिमान रहा, वहां रहे हनुमान
धन सत्ता का दर्प हरे, मेरे यह भगवान

कोरोना है मार रहा , कर दो प्रखर प्रहार 
दो सबको आरोग्य प्रभो, जग के तारण हार

करुणा में है ईश रहा, सेवा में जगदीश
सेवा से क्यो भाग रहा, सेवक है दस दिश



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तू कल को है सीच

जब ज्योति से ज्योत जली जगता है विश्वास जीवन में कोई सोच नहीं वह  करता उपहास होता है  जो मूढ़ मति  जाने क्या कर्तव्य जिसका होता ध्येय नहीं उस...