रिश्तो का आकाश रहा
रिश्तो का पाताल
रिश्तों से क्यो दूर हुआ
रिश्तों की पड़ताल
बुजुर्गों की छांव नही
रहा नहीं नजरों का डर
दिल के रिश्ते कहा गये
नहीं रहे है अब वो घर
रिश्ते रस से रिक्त हुए
अब रिश्तों में खोट
रिश्तों से है घाव मिला
मिली चोट पर चोट
मन के भीतर प्रेम नहीं
केवल है व्यवहार
अब निर्मम इस रोग का
नहीं रहा उपचार
मार्मिक किंतु कटु सत्य
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