कुछ करने अभिलाषा जिसके है पास
सुख दुख की चिंता न होता उल्लास
धरता है प्राणों में धीरज का बीज़
उड़ जाये जीवन मे चाहे उपहास
कर्मों का योगी है बिल्कुल गुमनाम
पद यश की आशा न होता निष्काम
भगता न वह पथ से कर्मों का वीर
मंजिल ही पास आती उसके ही धाम
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