नदिया सा मीठा जल
महकी हुई शाम
खगदल से गुंजीत हो
कण कण मे राम
पल पल मे खुशियों हो
हर दम मुस्कान
मन की हो अयोध्या
जीवन निष्काम
चन्दन सा चिंतन हो
सुन्दर हर काम
कुंदन सा जीवन हो
जीवित हो धाम
तन मन हो हर्षाया
ऐसा निर्माण
मन मे ही मंदिर हो
मंदिर मे राम
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