सोमवार, 29 जनवरी 2024

सीता जी तप होती

जीवन की पाती मे 
पाती मे राम
कबीरा भी यह बोले
शुभ कर ले काम
तुलसी चौपाई
जो कुछ न कह पाई
कहता है वह जीवन
जीवित आख्यान

लक्षमण की उर्मिला
उर की है पीर
सीता जी तप होती
टिकता है धीर
खोता है जब  संयम
मन का कोई तीर
खींची  है तब रेखा
दिखता कोई वीर 


1 टिप्पणी:

तू कल को है सीच

जब ज्योति से ज्योत जली जगता है विश्वास जीवन में कोई सोच नहीं वह  करता उपहास होता है  जो मूढ़ मति  जाने क्या कर्तव्य जिसका होता ध्येय नहीं उस...