Srijan
सोमवार, 29 जनवरी 2024
वनवासी साँसों मे
दिखते है पर्वत तो दिखती है खाई
पथ होते पथरीले होती कठिनाई
वनवासी साँसों मे रहते रघुराई
भरत मन हो तो लक्ष्मण सा भाई
चिडियो की बोली भी गाती है नाम
कंकड़ और पत्थर मे रहते है राम
पत्थर जो होता है निष्ठुर निश्प्राण
शिल्पी ने रच डाले उसमे भी श्याम
1 टिप्पणी:
Anita
29 जनवरी 2024 को 8:26 pm बजे
सुंदर सृजन
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