गहराई में मौन बसा,गहरा मन विश्वास
गहराई में उतर गया गहरी लेकर प्यास
शब्दों से क्यों बोल रहा , तू कर्मों से बोल
जिसके जीवन ध्येय रहा ,उसका पल अनमोल
अंधे के दिन रात नहीं, मूक क्या करता बात
आलस जिसमें व्याप्त रहा वह तो है बिन हाथ
दीपक दीप्ति देत रहा, देता दिल को आस
जबअंधियारी रात हुई , तब दीपक हैं पास
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ,अर्थपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २४ दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह! बहुत सुन्दर सृजन!
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