(1)
माना कि हम ,गलतियो के पुतले है
सीधी चढाई से ,जीते किसने किले है
(2)
बाते जो करते है ,आदर्शो ,ईमान की
अपने आचरण से ,वे पूरी तरह से खोखले है
(3)
साध्य नही साधन भी पावन होने चाहिये
ये उत्तम सबक हमे ,अपने पूर्वजो से मिले है
(4)
आईना आदमी कि असलियत बयान करता है
गहन खामोशीयो मे ,चिन्तन के दीप जले है
(5)
जिनके वादो कि कसमे ,खाया करते थे लोग
उनकी वादा खिलाफी से ,हम भीतर तक हिले है
(6)
कब तलक अभावो मे ,दम तोडेगी प्रतिभा
साधनो के दम पर ,बढे जुगनूओ के हौसले है
(7)
सिफारिशो कि भेट चढी ,प्रशासनिक व्यवस्थाये
अव्यवस्थाओ से कब ,मुरझाये चेहरे खिले है
(8)
जिनकी यादे है,आज भी दिलो दिमाग मे
उन जैसे हमराही ,मुकद्दर सेही तो मिले है
(९)
कौन खाता है खौफ, अब कौरी धमकियो से
सीने मे दफन ज्वालामुखी, देखे हमने जल जले है
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