दश दुर्गुण का दहन करो तो ,दशहरा त्यौहार
दशो दिशाओ में बिखराओ, सुन्दर और सच्चा व्यवहार
दश विद्या की करो साधना ,कष्टों का होगा उपचार
दश मस्तक सी जगे चेतना ,उन्नत पथ का यह आधार
दश इन्द्री पर हो अनुशासन, तो सपने होगे साकार
दश पर टिकता अंक गणित है, दर्शन का है मूल आधार
मानव मन की अहम् भावना ,कलयुग में रावण अवतार
दशानन सा जगा लो पौरुष ,फिर करना उसका संस्कार
बुधवार, 5 अक्टूबर 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अपनो को पाए है
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
-
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
-
सम्वेदना का भाव भरा खरा रहा इन्सान जीवित जो आदर्श रखे पूरे हो अरमान जो पीकर मदमस्त हुआ हुआ व्यर्थ बदनाम बाधाएँ हर और खड़ी...
-
जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें