गुरुवार, 20 अक्टूबर 2011

अर्चना की भावना को ,जन जन में उतारना है

अर्चना की कामना है ,अर्चना ही साधना है
अर्चना दीप्ती ह्रदय की ईश्वरीय मनोकामना है

प्यार का सागर गहरा ,चाहतो पर सख्त पहरा
अर्चना के रूप में ही ,प्यार की संभावना है
भावनाओं की सरिता, प्रेमिका प्यारी कविता
अर्चना वनवासी सीता, श्रीराम को पहचाना है

अर्चना शक्ति स्वरूपा ,शिव की आराधना है
अर्चना आत्मा की ज्योति, भक्त की उपासना है
अर्चना भावो का अर्पण, प्राणों का होती समर्पण
अर्चना भावानुभूति , निज इष्ट की स्थापना है

अर्चना दुखियो की सेवा ,कष्ट उनके काटना है
वनवासियों की वेदना से ,भावना को बांधना है
अर्चना सेवा समर्पण ,प्यार मिलकर बांटना है
अर्चना की भावना को ,जन जन में उतारना है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तू कल को है सीच

जब ज्योति से ज्योत जली जगता है विश्वास जीवन में कोई सोच नहीं वह  करता उपहास होता है  जो मूढ़ मति  जाने क्या कर्तव्य जिसका होता ध्येय नहीं उस...