सज-धज कर आई है गौरी, घर-आँगन को लीप
टिम- टिम करते अंधकार मे, नन्हे -नन्हे दीप !!1!!
दर-दर दिखती है रंगौली , दीपो का उत्सव
ज्योतिर्मय फैला उजियारा, गुजरा तम नीरव !!2!!
निराशा को तज ले प्यारे,गा खुशियो के गीत
गहन अमावश की निशा से,लक्ष्मी जी को प्रीत !!3!!
कोटि तारे आसमान मे का प्रकाश होता निर्जीव
अंधियारे कि कैसी सत्ता ,रहते है उसमे भी जीव!!4!!
घर-आँगन मे दीप जले तो ,ज्योतिर्मय त्यौहार
मन के भीतर अहं गले तो ,सुधरे व्यक्ति का व्यवहार !!5!!
तम मे दीपक का उजियारा,मरुथल मे जैसे हो नीर
टिम-टिम करता अंधियारे मे ,जुगनू की जाने कोई पीर !!6!!
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