माता मेरे साथ रही ,ममतामय परिवेश
अंचल में वात्सल्य भरा ,करुणा का है देश
माँ मन में विश्वास रहे, मन न हो निर्बलमन में ऊर्जा व्याप्त रहे ,श्रध्दा और सम्बल
माँ शक्ति का रूप है, धन वैभव का स्रोतभक्ति से भरपूर रहे ,जलती पावन जोत
माँ की ममता जिसे मिली ,धन्य हुआ वह जीव
संवेदना से शून्य रहा ,ह्रदय विहीन निर्जीव
महिमा की माँ गात रहा ,ग्रन्थ संत और श्लोकमाँ के नयनो नीर बहा ,डूब गए तीन लोक
माँ तेजोमय रूप है, होती ज्योति रूपपोषण पालन देती रही ,देती छाया धूप
माँ प्रीति की गंध लिए रागिनी है राग
भोजन माँ का पुष्ट करे जग जाते है भाग
माँ के चरणों आज रहा होता भावी कल
माँ की करुणा उसे मिली होता जो निश्छल
हे माँ तेरी कृपा मिले तव चरणन की धूल
जलते आस्था दीप रहे हो आलोकित हो मूल
माँ की हर पल याद रही मात रही हर अंग
माँ का मस्तक हाथ रहा जीत गए हर जंग
जब तक चलती सांस रहे ममता हो विश्वास
अवचेतन भी तृप्त रहे मिट जाए संत्रास
माँ की शक्ति साथ रही साथ रहा आशीष
भय बाधा से मुक्त हुए निर्भीक हुई हर दिश
माँ नदिया सम साथ रही सिंचित होते खेत
हर जन बुझती प्यास रही शिव के दर्शन देत
बुधवार, 27 सितंबर 2017
महिमा की माँ गात रहा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आँगन का दीपक
जहा दिव्य हैं ज्ञान नहीं रहा वहा अभिमान दीपक गुणगान करो करो दिव्यता पान उजियारे का दान करो दीपक बन अभियान दीपो ...
-
जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
-
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
-
देखते हम ध्रुव तारा ब्रह्म है पर लोक प्यारा ज्योतिष में विज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है देश अब आगे बढ़ा है चेतना के न...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें