बुधवार, 7 नवंबर 2018

सज्जनता एक धन

भीतर ही अंधियार रहा  भीतर में आलोक  
जीवन पथ उद्दीप्त हुआ  बजे मंत्र और श्लोक

अनगिन तारे ताक रहे अंतहीन आकाश
चम चम चमके दीप यहाँ सुरभित मन विश्वास

हृदय में न प्यास रहे आस रहे हर नैन  
दीप्त रहे मनोकामना समृध्दि और चैन

एक ज्योति सी बांध रही  मेरा अंतर्मन
किरणों से है दीप्त धरा  विकसित है चिंतन

 मन भावो से दीप्त रहे तृप्त रहे हर जन
  दीवाली पर दीप कहे सज्जनता एक धन

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज