भीतर ही अंधियार रहा भीतर में आलोक
जीवन पथ उद्दीप्त हुआ बजे मंत्र और श्लोक
जीवन पथ उद्दीप्त हुआ बजे मंत्र और श्लोक
अनगिन तारे ताक रहे अंतहीन आकाश
चम चम चमके दीप यहाँ सुरभित मन विश्वास
चम चम चमके दीप यहाँ सुरभित मन विश्वास
हृदय में न प्यास रहे आस रहे हर नैन
दीप्त रहे मनोकामना समृध्दि और चैन
दीप्त रहे मनोकामना समृध्दि और चैन
एक ज्योति सी बांध रही मेरा अंतर्मन
किरणों से है दीप्त धरा विकसित है चिंतन
किरणों से है दीप्त धरा विकसित है चिंतन
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