आत्मीय संसर्ग हुआ अंतर मन की प्रीत
जीवन मे आ जाओ न बन जाओ संगीत
जीवन मे आ जाओ न बन जाओ संगीत
आँचल तो आकाश हुआ जब आई हल छठ
सूरज से इस रोज मिले खिल गए है पनघट
सूरज से इस रोज मिले खिल गए है पनघट
इतना प्यारा सच्चा है सूरज तेरा प्यार
किरणों से तो रोज मिला जीवन को उपचार
किरणों से तो रोज मिला जीवन को उपचार
निर्मल जल सी सांझ रहे बांझ रहे न कोय
दिनकर संग जो जाग रहा भाग्य उसी का होय
दिनकर संग जो जाग रहा भाग्य उसी का होय
पटना की है परम्परा नदियों के है तट
डूबते को भी प्यार मिला सूरज की हल छठ
डूबते को भी प्यार मिला सूरज की हल छठ
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