गुरुवार, 8 नवंबर 2018

भैय्या दूज

बहना का भाई रहा भैय्या की है दूज
 संघर्षो से जीत मिली बहना की सूझ बूझ

जीवन में कई बार मिले सुख दुख के संजोग
बहना से मिलता रहा भैया को सहयोग

उसका निश्छल प्रेम रहा  निर्मल है अनुराग
बहना जग की रीत रही होती घर का भाग  

मिट जाते सब दुख यहाँ कट जाते सब रो
बहना के आ जाने से समृध्दि के योग

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज