शुक्रवार, 12 मार्च 2021

जीवन का सौरभ

आज यामिनी निखर रही 
अमृत बरसे नभ
शरद पूर्णिमा में पाया है 
जीवन का सौरभ

ठंडी ठंडी पवन बही 
 ठंडे दिन और रात
खुशबू महके पंछी चहके 
सुरभित पारिजात

बांसुरी की मीठी लहरी, 
कान्हा करे पुकार
हिय में अंतर्नाद रहा 
बजते रहे सितार


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज