अमृत बरसे नभ
शरद पूर्णिमा में पाया है
जीवन का सौरभ
ठंडी ठंडी पवन बही
ठंडे दिन और रात
खुशबू महके पंछी चहके
सुरभित पारिजात
बांसुरी की मीठी लहरी,
कान्हा करे पुकार
हिय में अंतर्नाद रहा
बजते रहे सितार
गहराई में मौन बसा,गहरा मन विश्वास गहराई में उतर गया गहरी लेकर प्यास शब्दों से क्यों बोल रहा , तू कर्मों से बोल जिसके जीवन ध्येय रहा ,उसका प...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें