भीतर भीतर लाल हुआ ,बाहर से खुशहाल
होले होले प्यार बढ़ा,चढता रहा बुखार
मन से सारा मैल हरे, होली का त्यौहार
डिम डिम करती चली यहां, यारो की है गैर
ढोलक से है ताल मिली, ठुमक रहे है पैर
महुआ ताड़ी भांग धरे ,कितने है मशगूल
होली में न रंग बचा, लिपटत तन पर धूल
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