पथ होते पथरीले होती कठिनाई
वनवासी साँसों मे रहते रघुराई
भरत मन हो तो लक्ष्मण सा भाई
चिडियो की बोली भी गाती है नाम
कंकड़ और पत्थर मे रहते है राम
पत्थर जो होता है निष्ठुर निश्प्राण
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
सुंदर सृजन
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